Mar
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मंगलवार व्रत का विधान
मंगलवार व्रत का विधान
धन तथा पुत्र देने वाले मंगलवार व्रत का विधान स्कन्द पुराण तथा मंत्र दिया है | की मार्गशीष अथवा वैशाख के महीने में शुक्लपक्ष में जब चन्द्रमा तारा ेव नक्षत्र शुभकारक हो श मंगलवार के दिन व्रत आरम्भ करना चाहिए | मंगलवार व्रत करने वाले व्यक्ति को चाहिए कि मंगलवार के दिन ब्रह्ममुहूर्त में जागकर उस दिन निश्चित रूप से अप्पमार्ग अर्थात चिचड़ी से मौन होकर दतुलन करे पश्चात किसी नदी तालाब या कुएं पर शास्त्रीय रीति से सनान कर संधया आदि नित्यकर्म सम्पन्न कर किसी शिव मंदिर अथवा घर पर लाल वस्त्र पहन कर गोबर से लीपे हुए शुद्ध स्थान पर अपने आसन पर पूर्वमुख अथवा उत्तरमुख बैठक दहिनी और लाल चन्दन तथा लाल पुष्प रखकर हाथ में पवित्री धारण कर आचमन प्राणायाम कर के संकल्प करे मम जन्मकुण्डलिया वर्ष कुण्डलिया च योम जनित दोष परिहारथ तथा च भोम व्रत ाह करिष्यै | तथा च कलश स्थात देवता आवाहन स्थापन पूजन च तथा पुनेहवाचन गणेशमभिका पूजन च ाह करिष्य | संकल्प करने के बाद गणेश शम्भी पूजन तथा कलश पूजन और पूर्णय हवाच करना चाहिए फिर मंगल भगवान के मंत्रों से अपने शरीर को स्पर्श कर के न्यास करना चाहिए उसके बाद एक कलश का स्थापन करके उस पर इक्कीस कोठे का त्रिकोण ताम भौम यन्त्र अथवा भौम प्रतिमा का स्थापन करे उसमे भौम देवता का आवाहन कर प्राण प्रतिष्ठा करे फिर विधिवत षोडशोपचार मंगल के पूजन में गैहू के आटे का बना हुआ सामग्री का भोग लग्न चाहिए और पूजन आरती होने के बाद खुद एक समय गेहूं के आटे का बना हुआ वस्तु के ग्रहण करे|
इस व्रत को इस प्रकार सीक वर्ष तक करना चाहिए एक वर्ष पूरा होने के बाद इस व्रत का ुधयापन करे-
ुधयापन का विधि है उस दिन सर्वोतोभद्र वेदी का निर्माण करे तथा ुसस्पर कलश स्थापित कर के स्वर्ण मयी मंगल भगवन की प्रतिमा का करे पूजा होने के बाद उस कलश के जल से पति पत्नी दोनों लोगो को सिंचन करे तथा मंगल मंत्र से १०८ आहुति टिल का दे तथा ब्राह्मण भोजन कराकर आचार्य को दक्षिणा देना चाहिए |
यथा शक्ति दान करना चाहिए
इस प्रकार से जो इस व्रत को करते है उन्हें धन , पुत्र तथा ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा उन्हें मंगल द्वारकभी भी पैदा नहीं होता और वह व्यक्ति नाना प्रकार के सुख को प्राप्त होता है |