Aug
17
श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत का कथा
श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत सावन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कहते है।यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है। इस दिन निर्जला व्रत रखना उत्तम माना जाता है। पुत्रदा एकादशी व्रत के दिन एक बूंद पानी भी नहीं पीना चाहिए। हालांकि निर्जला व्रत यदि सम्भव न हो तो फलाहारी भी रखा जाता है।मान्यता है कि इस दिन एकादशी का व्रत करने के बाद अगर व्यक्ति सावन पुत्रदा एकादशी व्रत की कथा सुनता है तो उसकी मनोकामनाऐं पूर्ण होती हैं और पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।
श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत का कथा-:-
श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत का कथा इस प्रकार है। भद्रावती नामक नगरी में सुकेतुमान नाम का एक राजा था। उसके कोई पुत्र नहीं था। उसकी रानी का नाम शैव्या था। वह पुत्र विहीन होने के कारण सदैव चिंतित रहा करती थी।और वह सदैव यही विचार करते थे कि मेरे मरने के बाद हम लोगों को कौन पिंडदान करेगा।बिना पुत्र के पितरों और देवताओं का ऋण में कैसे चूका सकूंगा। जिस घर में पुत्र न हो,उस घर में सदैव अँधेरा ही रहता है और राजा यही सोचकर हताश में अपने राज्य के सभी सुख-सुविधाओं को छोड़ कर घने जंगलों में चले गए। बहुत दिनों तक जंगल में भटकने के बाद एक दिन वो प्यास के मारे अत्यंत दुःखी हो गए और पानी के तलाश में इधर-उधर फिरने लगे।थोड़ी दूरी पर राजा ने एक सरोवर देखा और उस सरोवर में कमल खिले थे तथा सारस,हंस,मगरमछ आदि विहार कर रहे थे। उस सरोवर के चारों तरफ मुनियों के आश्रम बने हुए थे। उसी समय राजा के दाहिने अंग फड़कने लगे। राजा शुभ-संकेत समझकर घोड़े से उतरकर मुनियों को दंडवत प्रणाम करके बैठ गए।
राजा को देखकर मुनियों ने कहा-हे राजन! हम तुमसे अत्यंत प्रसन्न हैं। तुम्हारी क्या इच्छा है,सो कहो।
राजा ने पूछा -महाराज आप कौन हैं और किसलिए यहा आए हैं ? कृपा करके बताइए।मुनि कहने लगे कि हे राजन! आज संतान देने वाली पुत्रदा एकादशी है,हम लोग विश्वदेव हैं और इस सरोवर में स्नान करने के लिए आए हैं। यह सुनकर राजा कहने लगे कि महाराज,मेरी भी कोई संतान नहीं है। यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो एक पुत्र का वरदान दीजिए।मुनि बोले-हे राजन! आज पुत्रदा एकादशी है। आप अवश्य ही इसका व्रत करें,भगवान की कृपा से अवश्य ही आपके घर में पुत्र होगा।मुनि के वचनों को सुनकर राजा ने उसी दिन एकादशी का व्रत किया और द्वादशी को उसका पारण किया। इसके पश्चात मुनियों को प्रणाम करके महल में वापस आ गया। कुछ समय बीतने के बाद रानी गर्भ धारण किया और 9महीने के पश्चात उनके एक पुत्र हुआ।
वह राजकुमार अत्यंत शूरवीर,यशस्वी और प्रजापालक हुआ। जो मनुष्य इस माहात्म्य को पढ़ता या सुनता है,उसे अंत में स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
श्रावण पुत्रदा एकादशी का महत्व तथा लाभ-:-
वेदों के अनुसार, भगवान विष्णु को वह व्यक्ति माना जाता है जो आपकी सभी इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं। तो,वे जोड़े इस दिन भगवान विष्णु से पुत्र के लिए प्रार्थना करते है ऐसा माना जाता है कि उनकी इच्छा पूरी हो जाती है।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार,अगर कोई व्यक्ति पुत्रदा एकादशी का व्रत करता है तो उसे पुत्र की प्राप्ति होती है। साथ ही कथा सुनने के बाद मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।
तिथि तथा समय-:-
श्रावण पुत्रदा एकादशी इस वर्ष 2021 में 18 अगस्त दिन बुधवार को तथा पारण अगले दिन बृहस्पतिवार 19 अगस्त को है