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रविवार व्रत का विधान
रविवार व्रत का विधान
रविवार व्रत का विधान रत्नाकर एव स्कंदपुराण में वृहद् रूप से दिया है| रविवार व्रत करने वाले स्त्री या पुरुष को चाहिए कि रविवार व्रत मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष के पहले रविवार को प्रातः आरम्भ करना चाहिए एव व्रत करने वाले स्त्री या पुरुष को चाहिए कि रविवार के दिन प्रातः काल स्नानादि से निवृत होकर शुद्ध वस्त्र धारण करे फिर कुशादी पवित्र आसन पर बैठ कर आचमन करे| इस प्रकार पूजन करने के बाद आदित्य हिरदय स्त्रोत का पाठ करे फिर में व्रत एक वर्ष पूरा होने के बाद इस व्रत उद्यापन करे दिन में बिना नमक के एक बार भोजन करे| तो आंखों की बिमारी नैत्र पीड़ाऔर दरिगह रोग दुर्र होते है| तथा सभी प्रकार के सुख प्राप्त होता है|