May
14
धर्म का महत्व
धर्म का महत्व
आप हम लोग धर्म के विषय में जानेंगे धर्म क्या है? धर्म किसे कहते है? आज कल कलयुग में धर्म को ले कर के अनेक प्रकार की व्याखाइये हो रही है और सभी लोग यह नहीं जानते है की वास्तव में धर्म क्या है? धर्म किसे कहते है? देखिये सभी का अपना अपना धर्म होता है मनुष्य का अपना धर्म होता है पशु पक्षियों का अपना धर्म होता है जैसे मान लीजिये पक्षियों में चातक चातक जो है की स्वाति नक्षत्र के दिन जब वर्षा होती है तब भी वह जल पीता है वह प्रतीक्षा करता है कि वह अन्य मौसमों व नक्षत्रों में वह जल नहीं पीता है वह उतने समय तक प्रतीक्षा करता है कि जब स्वाति नक्षत्र में वर्षा होगी तो भी वह जल को ग्रहण करेगा| वह अपने धर्म का पालन करता है वैसे ही मानव का अपना धर्म है| देखिये कहा गया है की जो धारण किया जाये वह धर्म होता है और धर्म की रक्षा करना चाहिए ऐसा कहा गया है कि जो धर्म की रक्षा करता है धर्म उसकी रक्षा करता है| देखिये तुलसी दास जी ने रामायण में लखा है कि आपत्ति काल में किसका किसका विचार किया जाता है- विपत्ति के समय धैर्य धारण करने से आपका दुःख दूर हो रहा है तो वही आपका सबसे बड़ा मित्र है , दूसरे धर्म के पालन करने से यदि आपकी विपत्ति दूर हो रही है तो सबसे बड़ा मित्र आपका धर्म है और यदि ंकितरा के द्वारा आपका दुःख दूर हो रहा है तो वह मित्र है आपका सबसे बड़ा सहयोगी है और अंत में स्त्री के दवारा आपका संकट दूर हो रहा है तो सबसे बड़ा सहयोगी स्त्री है| देखिये कहा गया है कि मनुष्य के तीन ही लोग मित्र होते है इन् तीनो से बड़ा कोई भी मनुष्य का मित्र नहीं हो सकता है पहला मित्र है ज्ञान यदि आप अपने घर को छोड़ कर के देश विदेश जाते है तो वह आपको जानने वाला कोई नहीं होगा तो वह आपका सबसे बड़ा मित्र आपका ज्ञान हे होता है आप जिस प्रकार अपने ज्ञान का प्रयोग करेंगे वैसे वैसे लोग आपसे जुड़ते चले जाएंगे और उनलोगो से आपकी मित्रता होगी| दूसरी है स्त्री घर में पत्नी के अलावा कोई मित्र नहीं होता है और तीसरा धर्म मरने के बाद धर्म है साथ में जाता है दूसरी कोई वस्तु भी नहीं जाती है| मृत्यु के बाद प्राण निकल जाता है तो धन भी यही रह जाता है पशु पक्षी सभी यहाँ रह जाते है मनुष्य की सबसे नजदीक उसकी पत्नी होती है| वह भी दरवाजे तक ही जाती है उसके मित्र व रिश्तेदार भी उससे समसान तक ले जा कर के वापस अपने घर चले जाते है उसके बाद मनुष्य की सबसे प्रिय वस्तु क्या है? तो हनुमान जी ने सुंदर कांड में रावण को कहा है की हे रावण सभी लोगो को अपना अपना सरीर प्रिय होता है चाहे वो पशु हो पक्षी हो लंगड़ा हो या अँधा हो काला हो या गोरा हो सबको अपना अपना सरीर प्रिय होता है इसीलिए सभी लोग अपने शरीर को सजाने में लगे होते है लेकिन जब मृत्यु के बाद वह सरीर चिताओ में जल कर के भस्म हो जाती है तो उस जीव आत्मा के साथ उसका कर्म भी उसके साथ जाता है यदि आपने अच्छा कर्म किया है तो धर्म राज आपका स्वागत करते है यदि आपने बुरे कर्म किए अहइ तो यमदूत अपने फास में बाँध कर के पीड़ा देते हुए उस जीव आत्मा को यमलोक में ले जाते है और इसलिए कहा गया है कि सभी वास्तु यही छूट जाता है जीव के साथ उसके अच्छे कर्म ही उसके साथ जाते है इसलिए कहा गया है की धर्म की रक्षा करनी चाहिए|
अच्छा धर्म क्या है?
जैसे एक विद्यार्थी के लिए उसका धर्म है विद्या उस विद्यार्थी को अपने विद्या की रक्षा करनी चाहिए जैसे विद्याथी स्कूल से आ कर के खाना पीना कर के रात्रि में उसे फिर से अध्यन में लग जाना चाहिए खूब मेहनत करेगा तब व् अपनी विद्या को सुरक्षित रख पाएगा उसकी स्मरण शक्ति रहेगी उसको ज्ञानं रहेगा तब उसको पढ़ते पढ़ते व् बहुत बड़ा विद्यवान हो जाएगा तो आगे चल कर के व् बड़ी परीक्षा में बैठेंगे उसमे अच्छे नंबर प्राप्त करेगा और उस अच्छे नंबर दवारा उच्च पद को प्राप्त करेगा तब उसका मान सम्मान प्रतिष्ठा फैल जाएगी तब तक वह विद्या रुपी धर्म की रक्षा किया बाद में उस विद्या के दवारा लोगो का मान सम्मान प्राप्त करने लगा|
ठीक उसी प्रकार ग्रिहस्तो का सबसे बड़ा धर्म है उनका घर किसी का घर हे धर्म है तो आप घर को साफ़ सुथरा रखेंगे तो कोई भी आपके घर आएगा तो कहेगा कि आपका घर कितना सुन्दर है तो अपने घर रूपी धर्म की रक्षा किया तो वह घर आपकी रक्षा करेगा कैसे? रात्रि में जब आप चैन से सोते है और आप निश्चिंत हो कर के सोते है कि कोई चोर हमारा धन नई चुराएगा घर आपकी रक्षा सूर्य की किरणों से वर्षा से यहाँ तक की आपकी जीवन भर की कमाई हुई धन की भी रक्षा करती है मान लीजिए आप अपनी घर की रक्षा न करे जैसे दरवाजा खुला हो छत्त टुटा हो चोर आएगा आपकी कमाई हुई सभी धन को लेकर के चला जाएगा उसी प्रकार जो व्यक्ति धर्म की रक्षा करेगा धर्म भी उसकी रक्षा करेगा इसमें कोई संशय नहीं है| इसीलिए धर्म पूर्वक कोई भी यज्ञ अनुष्ठान जप तप व्रत का धर्म पूर्वक उसका पालन करना चाहिए दिखावटीपन नहीं करना चाहिए तब धर्म आपकी रक्षा करेगा |
पुत्र को अपना धर्म का पालन करना चाहिए पुत्र का सबसे बड़ा धर्म क्या है? जो पुत्र कुमार नामक नरको से अपने माता पिता का उद्धार कर दे वही पुत्र, पुत्र कहलाने के लायक है| पुत्र तो हजार लेकिन उन हजारों में एक है पुत्र जो कुलदीपक बनता है और अपने माता पिता का उद्धार करता है कुमार नामक नरको से कष्टों से अब अपने प्रश्न किया की वह नर्क क्या है? देखिये जब माता पिता बूढ़े हो जाते है तो वह पुत्र पर निर्भर हो जाते है क्युकी बहु तो दूसरी घर से आती है परन्तु पुत्र तो अपना है | क्योंकि पिता हे अपने रूप में जन्म लेता है महर्षि कश्यप ने कहा है कि माता के तेज़ से संस्कार और पिता के तेज़ से शरीर उत्पन्न होता है इसलिए पुत्र अपना ही होता है | पिता माता अपने पुत्र पर है गर्व करते है तो वह बूढ़े हो गये मान लीजिये माता ने कहा बेटा क्योंकि बुढ़ापे में इच्छाये बढ़ जाती है व्यक्ति की | तो उसने अपने पुत्र से कहा की बेटा एक गिलास पानी दे दो तो वह अपनी दे देगा फिर थोड़ी देर बाद वह फिर कोई वस्तु मांगेगे तो वह फिर दे देगा फिर थोड़े देर बाद वह किसी और वस्तु को मागेगे तो वह गुस्सा हो जाएगा और कहेगा कि आप बार बार परेशां कर रहे है एक बार के में कोई भी वस्तु मगाये तो जब वह पुत्र के द्वारा कही गयी बात की आप बार बार मुझे परेशान कर रहे है वही बात के दवारा माता पिता को जो दुःख होगा वही सबसे बड़ा नर्क है | अच्छा उसके सब्दो से कैसे दुःख हुआ मान लीजिए कोई व्यक्ति बहुत इज्जतदार है उससे दस लोग कहने लगे की आप बहुत अच्छी है तो वह अच्छा बन जाएगा और इसी अच्छे व्यक्ति को वही दस लोग कहे कि तुम पागल हो तो वह व्यक्ति प्रतिदिन इसी शब्द को सुनकर सच में पागल हो जाएगा या किसी भी व्यक्ति को आप गाली दे दीजिये वह तुरंत क्रोध में तमम तमा जाएगा इस्क्को सब्द बेदी बांण कहते है अर्थात वाणी के दवारा कटु वचन निकलने से दूसरे व्यक्ति के मन्न में जो कीड़ा होता है उससे मानसिक कीड़ा कहा जाता है तो वह माता पिता को मानसिक पीड़ा से रक्षा पूता हे करता है और माता पिता से वह पुत्र अगर कहता है कि ठीक है पिता जी या माता जी और कुछ वस्तु चाहिए तो आप मुझे बतला दीजियेगा तो व् यह माता पिता को उसके सुन्दर वाणी से सुख की अनुभूति होगी यही सुख स्वर्ग कह लाता है और उसके दवारा अप्रिय शब्द सुनकर के जो कष्ट होगा उसे नरक कहते है इसलिये इस कुमार नरको से माता पिता का उद्धार करने वाला उत्तरा धिकारी पुत्र हे है इसलिए उससे पुत्र कहते है इस तरह वह अपने माता पिता की सेवा करता है तो वह पिता माता के रीढ़ से मुक्त हो जाता है |
इसी तरह पत्नी का भी धर्म है स्त्रीयो का सबसे बड़ा धर्म क्या है? स्त्रियों का पति व्रता हे सबसे बड़ा धर्म है चुकी स्त्री शक्ति का प्रतीक है कहा गया है कि पतन की तरफ जाने से जो अपने परिवार को बचा ले उसे पत्नी कहते है इस तरह की स्त्री को जिस घर में निवास करती है वह लक्ष्मी के समान होती है और उस घर में वैसी स्त्री का सामान होता है तो वह सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है इससे भी धर्म कहा गया है इस प्रकार धर्म का मतलब हुआ की अपने अपने कर्म अनुसार आपका जो भी धर्म है उसकी अच्छी प्रकार से रक्षा करिये वह धर्म निश्चित ही आपकी रक्षा करेगा इसमें कोई संशय नहीं है |