Jun
12
कुंडली में संतान योग
कुंडली में संतान योग
जन्म कुंडली के पंचम भाव से संतान का विचार किया जाता है | पाचवे भाव से संतान के बारे में , विद्या के बारे में , माता पिता के सम्बन्ध के बारे में और उच्च अधिकारियो से संपर्क के बारे में विचार किया जाता है यदि जन्म कुंडली में पंचम स्थान पर पाप ग्रह हो या कुंडली के ग्यारवे भाव में बैठ कर पंचम भाव पर पूर्ण दृष्टि से देखता है तो संतान प्रतिबन्ध्क योग होता है अर्थात संतान नहीं होते है | मान लीजिये यदि सतमेश पंचम भाव में बैठा हो तो भी संतान उत्पत्ति के लिए पीड़ा दायक होता है चुकी सप्तम स्थान पत्नी का स्थान होता है या पति का स्थान होता है तो जन्म कुंडली में सप्तमेश पंचम भाव में बैठा हो तो उस व्यक्ति की स्त्री नहीं रहेगी और अगर स्त्री रहेगी तो उससे संतान नहीं होगी | दूसरी बात यह है यदि पच्मेश लगन में बैठा हो तो और लग्नेश अगर पंचम भाव में बैठा हो तो उस जातक को दत्तक पुत्र होते है अर्थात उससे स्वयं पुत्र नहीं होता है वह दूसरे के पुत्र को गोद लेता है उससे हे दत्तक पुत्र कहते है और यदि जन्म कुंडली के पंचम भाव में शुक्र, बुद्धा, चंद्र , बृहस्पति इनमे भी बृहस्पति उच्च का हो या स्वः राशि का हो तो संतान तेजस्वी होता है और बुद्धिमान भी या बृहस्पति ग्यारहवे घर में बैठ कर के पंचम भाव को देख रहे हो या कोई शुभ ग्रह उससे देख रहे हो तो जातक विद्यावान होता है तथा उसका माता पिता से सम्बन्ध अच्छा बना रहता है | अब मान लीजिये जन्म कुंडली में संतान प्रतिबन्ध्क योग है तो उसके लिए क्या उपाए करने चाहिए की संतान की उत्पत्ति हो | तो भगवान् शिव एक ऐसे देवता है जो असंभव को भी संभव करने वाले है तो जिसे संतान न हो रहे हो उससे अभिलासा अभिषेकं का इक्कीस बार रोज पाठ करना चाहिए या किसी ब्राहमण से करवाना चाहिए और नहीं तो गयारह हो बार अभिलासा अभिषेकं का पाठ करना चाहिए और प्रतियेक दिन भगवान् शिव का पार्थिक शिवलिंग बना कर पूजा करनी चाहिए या सोलह सोमवार तक पार्थिक शिवलिंग बना कर पूआज करनी चाहिए और अभिलासा अष्टकम का पाठ करना चाहिए उससे संतान की प्राप्ति होती है | दूसरा उपाए यह है की संतान गोपल का जाप करना चाहिए इससे भी संतान की प्राप्ति होती है और अहिल्या उधार जिससे अहिल्या जी ने भगवान् राम की स्तुति की थी उन् मंत्रो का जाप करना चाहिए | संतान क्यों नहीं होती है ? इसका क्या कारण है? जो स्त्री या पुरुष अगले जन्म में किसी बालक की हत्या कर देते है या जहर देके मार देते है या दूसरे की बालक की हत्या कर देते है तो उन्हें हे कोई बालक नहीं होता है और वह निसंतान होते है | चुकी मनुष्य का पाप वह दुःख है और जो पुनः है वह सुख है वही पाप जो है जन्म कुंडली के पांचवे घर में पाप ग्रह बन कर बैठ जाते है या जन्म कुंडली के ग्याहवे घर में बैठ कर पांचवे भाव को देखते है जिससे संतान नहीं होती है कहा गया है की संतान होना आवश्यक है उसी तरह जिस तरह राजा की प्रजा न हो तो उस राजा का होना दित्कार है उसी तरह उस घर का महत्व नाह है जिस में रहने वाला कोई न हो और उस धन का महत्व नहीं है जिसका उपयोग करने वाला कोई न हो और उस कुल का भी कोई महत्व नहीं है जिस कुल में कोई पुत्र न हो या पुत्री भी देखिये सत्यनारायण भगवान् की कथा में वर्णित है साधू नमक जो बनिया था उसने राजा उलमा मुख से कहा था हे राजन आप जो व्रत कर रहे है यह अगर सत्य है तो मई भी प्रतिज्ञा कर रहा हु की मेरी भी कोई संतान होगी तो मई भी सत्यनारायण भगवान् की कथा वह व्रत करूँगा तो भगवान् प्रसन्ना हो करके दसवे महीने में उससे कन्या रत्न प्रदान करते है तो उसका नाम कलावती रखा गया अब उसने संतान माँगा था तो उसका अर्थात होता है पुत्र या पुत्री तो भगवान् ने उससे पुत्री दे दिया और पुत्र और पुत्री में क्या अंतर होता है जो पुत्र कुमार नामक नर्क से अपने माता पिता का उद्धार कर देता है उससे पुत्र कहते है और कन्या जो है वह छह पीढ़ियों का उधार करती है तीन मातृ कुल और तीन पित्र्य कुल इसलिए लड़का वह लड़की का होना बहुत आवश्यक है चुकी जन्म कुंडली में पांचवे स्थान से हे इसका विचार किया जाता है इसलिए जो पाप ग्रह आपकी कुंडली में बैठे हो तो उससे संतान प्राप्त नहो होती इसका प्राश्चित किया जाता है यह कैसे किया जाता है तो भगवान् शिव का पूजन , अभिलषाकम का पाठ या नवरात्र में सप्त चंडी का पाठ करना चाहिए इससे भगवती प्रसन्ना हो कर अभीहिस्ट फल प्रदान करती है | हगवती से अनुरोध किया जाता है हे भगवती आप जब किसी मनुष्य के ऊपर प्रसन्ना हो जाती है तो उसके सभी लोगो का नास कार देती है यदि तुम नाराज़ हो जाती हो तो मनुष्या के सभी मनोकामना का नास कर देती हो और जो मनुष्य आप के सरन में आते है उनके ऊपर कोई विपत्ति नहीं आती और जिसके ऊपर थोड़ा कृपा कर देती हो उसकी पूजा तमसे बढ़कर होने लगती है ऐसा कहा गया है की जो व्यक्ति पार विपत्ति हो उसके घर में कलह होता हो या बच्चे बुद्धिमान न हो तो उससे अपने घर में सप्त चंडी का पाठ कराना चाहिए भगवान् शिव का पूजन करना चाहिए शांति पाठ कराना चाहिए जिससे संतान की प्राप्ति हो और उसके संतान बुद्धिमान हो तथा बलवान हो और साथ में तेजस्वी व धर्मात्मा हो और वह किसी के सामने हाथ फ़ैलाने वाले न हो क्योंकि हाथ फ़ैलाने से मान सम्मान प्रतिष्ठा आदि सब ख़तम हो जाट है इसलिए पुत्र दाता मांगने वाला न हो ऐसे मनोकामना कर के भगवान् शिव की मिटटी की मूर्ति बना कर पूजा करनी चाहिए प्रत्येक माह में प्रदोष के दीं भगवान् शिव का पूजन करना चाहिए और पूजा करने के बाद एक लाख बार ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए या पंडित से कराना चाहिए पहले सोमवार से लेकर सोलह सोमवार के बीच में एक लाख बार जप कर के मिटटी के भगवान् शिव की मूर्ति बाना कर उससे गंगा में प्रवाहित कर देना चाहिए इससे भगवान् शिव खुश हो जाते है और अपने सामान पुत्र प्रदान करते है और लड्डू गोपाल का पूजन करना चाहिए या श्री कृष्णा का एक फोटो रख कर के गोपाल स्त्रोतम का पाठ करना चाहिए अगर यह सब संभव नहीं तो हरी वंश पुराण की कथा सुन्ना चाहिए जिससे भगवान् प्रसन्ना होकर अच्छे संतान की प्राप्ति करते है इसमें कोई संभव नहीं है |
1 Comments
Mera baccha kab hoga
Mujhe pls batao meri shadi ko 1 years ho hai meri shadi late hui thi 38 years me