Jul
31
नाग पंचमी का महत्व
नाग पंचमी का महत्व
नाग पंचमी पर्व को भारत में बहुत धूम धाम से मनाया जाता है और इसका आयोजन भी धूम धाम से किया जाता है | ग्रामीण क्षेत्रो में इससे पंचन्या के नाम से जाना जाता है | तथा अन्य क्षेत्रो में नाग पंचमी के नाम से जाना जाता है | शास्त्रों के अनुशार नागो का इस पृथ्वी पर बहुत उपकार है | स्वयं शेसनाथ इस पृथ्वी को अपनी फन पर धारण किये हुए है जो अनंत नाम से जाने जाते है तथा आठ जो प्रमुख नाग है क्योंकि दिशाए दस होती है तो पृथ्वी और आकाश को देख कर के पृथ्वी लोक पर यह जो आठ दिशाए है जैसे पूर्व पक्षिम उत्तर दक्षिण तथा अग्नि को नैऋत को वायब कोण तथा ईशान कोण यह आठ इन् आठो दिशाओ में जो प्रमुख नाग है वे आठ क्षत्रो में बटे हुए है और आठ तरफ से अपने फन पर इस पृथ्वी को धारण किये हुए है और इनकी ऊपर मानव और चौरासी लाख यौनिया वास करती है इसलिए सर्पो का इस पृथ्वी पर बहुत उपकार माना जाता है |यह आठ नाग कौन कौन है पहला वास्की दूसरा तक्षक तीसरा कालिया चौथा मणिबंदक पांचवा अधिरावत छटा ध्रिरास्त्र करीकोटक तथा धनञ्जय यह आठ नाग पृध्वी को अपनी फन पर धारण किये हुए है बीच में स्वयं भगवान् शेसनाथ ने पृथ्वी को धारण किया हुआ है इसलिए सर्पो का विधि विधान से पूजा किया जाता है और इस पृथ्वी का जब समुद्र मंथन हुआ था उस समय दवताओ ने सुमेरु पर्वत को मथनी बनाया तथा वासुकि नाग को रसी भी बनाया था | यह वही नाग है जो भगवान् शिव के गले में रहते है इन्ही से समुद्र मंथन का कार्य आरम्भ हुआ उसमे से चौदह रत्न निकले उनके प्रकार की औषिधीय भी निकली कुछ देवलोक चले गए और कुछ अशूर लोक कुछ पृथ्वी पर हे मनुहो के कल्याण के लिए वह रत्न चले आये तो उस समय सर्प जाती ने बहुत योगदान दिया था इसलिए देवताओ के समान सर्पो की पूजा की जाती है जन्म कुंडली में कालसर्प नमक एक दोष होता है यह राहु केतु के क्षाया ग्रह है और इन क्षाया ग्रहो के बीच सारे ग्रह चले आते है तो उससे कुछ ज्योतिष लोग काल सर्प योग के नाम से जानते है | विशेष करके दर्शन भारत और महाराष्ट्र में इनका प्रचलन ज्यादा है उत्तर भारत और काशी में यह कालसर्प योग नहीं मन जाता है | राहु ग्रह का देवता जो ही सख्त है इसलिए इसे कालसर्प योग कहते है सर्पो की पूजा करने से राहु सम्बंधित पीड़ाओं का नाश होता है और राहु एक ऐसा क्षाया ग्रह है जो शिव को हे अपना आराध्य मानता है | भगवान् शिव सर्प को अपने गले में पहने रहते है इसलिए सर्प की पूजा करने से उस व्यक्ति को राहु ग्रह पीड़ा से मुक्ति मिल जाती है| नाग पंचमी का त्यौहार अपने अपने क्षेत्रो में अपने अपने तरीके से सभी लोग विधि विधान से मानते है दोष और लावा का भोग लगाते है परन्तु सर्प को दूध चढ़ाने का विधान है पिलाने का नहीं क्योंकि सर्पो को दूध पिलाने से उनकी प्रज्जलन शक्ति समाप्त हो जाती है वह बच्चा पैदा नहीं कर पते इसलिए सर्प को दोष से स्नान कराना चाहिए पुनः गंगा जल इत्यादि से स्नान कराना चाहिए इसके बाद रूरी लगाना चाहिए फिर अक्षत चढ़ाना चाहिए माला पहना चाहिए दूर से धुप दीं और नैवैद्य का भोग चाडा कर के उनको प्रणाम करना चाहिए इनके पूजा करने से सर्प सम्बंदित भव्य नहीं होता है | सर्प जो है अभय प्रधान करते है प्राचीन काल में यह सब यज्ञो के द्वारा या शुभ कार्य समाप्त होने के बाद जो धन बैठा था वह गृहस्थ राजा उस धन को पृथ्वी में गाड़ देते थे जब पृथ्वी में गाड़ देते तो यह सर्प उन धनो की रक्षा करते थे जो उस योग्य उसके स्वामी होते थे उन्हें यह धन प्राप्त हो जाता था या जो उसके योग्य नहीं होते थे वह सर्प उन्हें उस धन को लेने नहीं देते थे एक तो जो योग्य नहीं है उन्हें धन दिखता हे नहीं है और जिसको दिखेगा भी उससे सर्प काट लेंगे या भगा देते है अपने भय से इसलिए कही कही सर्पो को स्वामी मन जाता है वेदो में भी सर्पोंका पूजा किया गया है और श्राप मने बाण भी होता था तो उन् बाणों को भी हम नमस्कार करते है जो युद्ध के समय चलाये जाते थे | सर्प जो है आकाश में उड़ाते भी थे इसलिए जो अंतरिक्ष में है जो पृथ्व में है और दुइ लोको में है हम उन्हें प्रणाम करते है वह सब हमारा कल्याण करे और सुख समृद्धि जो सर्पो के द्वारा प्राप्त होता है वो हम मनोवो को प्राप्त हो ऐसा निवेधन करना चाहिए और इसी सब बातो से सर्प की पूजा की जाती है और सर्पो की पूजा करने से होल नाथ भी खुश हो जाते है और पूजा करने वाले को अभय फाल प्रधान करते है इस वर्ष नाग पंचमी का त्यौहार पांच अगस्त २०१९ दिन सोमवार को मनाया जाएगा |