Aug
13
बुध ग्रह का लग्न कुंडली में महत्व
बुध ग्रह का लग्न कुंडली में महत्व
जन्म कुंडली में बुध ग्रह का बहुत बड़ा महत्व होता है | बुध ग्रह जो है उत्तर दिशा का स्वामी होता है तह पुरुष जाती का ग्रह है परन्तु साथ में इससे नफूंसक ग्रह भी कहते है इसमें तीन प्रकार का दोष होता है इसकी प्रकृति तीन दोषोवाली होती है साथ में यह श्याम वर्ण का होता है पृथ्वी तत्व ग्रह है यह पाप ग्रहो में सूर्य मंगल राहु केतु तथा शनि के साथ रहने से अशुभ फल देता है शुभ ग्रहो में च्नद्र, शुक्र, बृहस्पति के साथ रहने से शुभ प्रदान करता है इसलिए इससे नफूंसक ग्रह कहा जाता है जिस ग्रह की दसा यानि महादशा में या अंतर दशा में बुध की दसाए चलती है उस ग्रह के अनुसार बुध ग्रह फल प्रदान करता है साथ में यह ग्रह का ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुद्धि और चिकित्सा व्यापार शास्त्र विद्या शिल्प विद्या कानू और वाडीज्य में की पढाई के बारे में विचार किया जाता है साथ यह चतुर्थ स्थान में रहने से तथा दसम स्थान के रहने से यह शुभ फल देता है भूमि , वहां, वाहन का सुख दिलवाता है | परन्तु बुध ग्रह चतुर्थ स्थान में निष्फल प्रदान करता है | अर्थात न कोई शुभ फल देता है और न हे कोई अशुभ फल देता है इसके द्वारा जीभा के बारे में भी विचार रोग किया जाता है तारु के बारे में भी विचार किया जाता है साथ में उपचारां सम्बंदित और हाडियो के बारे में भी विचार किया जाता है इसके द्वारा वाणी रोग गुहिय रोग बुद्धि भर्म गूंगा के बारे में भी विचार किया जाता है यदि कोई बोल नहीं पाता तो उसके कुंडली में बुध ग्रह ख़राब है और आलास का कारक ग्रह भी बुध है तथा वाक् रोग तथा कुष्ट रोग का भी कारक बुध ग्रह है इसलिए बुध ग्रह का विचार विशेष रूप से किया जाता है | जन्म कुंडली के चतुर्थ स्थान में यह निष्फल देता है परन्तु चतुर्थ और दसम स्थान का कारक ग्रह बुध है | बुध यदि पंचम घर लगन स्थान में बैठा हो चतुर्थ घर सप्तम तथा दसम घरो में शुभ ग्रहो के साथ बैठा हो शुभ ग्रहो की राशि पे बैठा हो और शुभ ग्रहो की उसपर दृष्टि हो तो व्यक्ति को मान समान प्रतिष्ठा तथा विद्या में भी व्यापार सम्बंधित सफलता प्राप्त होती है | विद्या में व्यक्ति वकील होगा चिकत्सक और ज्योतिष का भी विचार किया जाता है क्योंकि बुध वाणी कारक ग्रह है इसलिए इस ग्रह का सम्बन्ध जिस व्यक्ति से होता है वह बहुत अधिक बोलने वाला होता है बुध ग्रह का यह एक प्रभाव है अगर बुध ग्रह पाप ग्रहो की दसा में हो या पाप ग्रहो के साथ बैठा हो तो तो उल्टा फल देने लगता है जिससे व्यक्ति के गले में दर्द , बलगम इत्यादि रोग हो जाते है खासी भी होती है साथ में गुप्त रोग भी होता है और पुष्ट रोग भी होता है हड्डी और जोड़ो में भी पीड़ा भी बुध ग्रह के प्रभाव से होता है यदि बुध ग्रह ख़राब हो तो बुद्धि भरबस्ट हो जाती है व्यक्ति का मति ख़राब हो जाता है वह यह नहीं सोच पाता है की मई क्या करू या क्या न करू इनसब बातो के निवारण हेतु बुध ग्रह का जप और अनुष्ठान करना चाहिए ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है की बुध ग्रह का शांति किस प्रकार होगा ॐ बुं बुध्याये नमः इस मंत्र का १०८ बार जप जप करना चाहिए | जप करने के बाद बुधवार के दिन हरे कपडे में हरा उरद और गुड़ बाँध कर के अपने ऊपर से साथ बार उतार कार के किसी गणेश जी के मंदिर में दान कर देना चाहिए | दूसरा उपाए यह है की हाथ में जल लेके पहले किसी गणेश मंदिर में जा के १०८ दुरुबा ले लीजिये दुरुबा को किसी पात्र में रख कर गणेश जी को केसर का तिलक लगाए और एक ध्रुबा का माला पहनना चाहिए | उसके बाद वहा बैठ कर के हाथ में जल ले करके कहिये मई बुध पीड़ा निवारण के लिए या बुध ग्रह की शांति के लिए तथा शुभ फल प्राप्ति के लिए मई भगवान् श्री गणेश को ध्रुवा चढ़ाने जा रहा हूँ या चढ़ाने जा रही हूँ | और ॐ गं गढ़पति नमः कह कर के एक एक dhruba चढ़ाना चाहिए इस प्रकार १०८ ध्रुबा चढ़ाने के बाद श्री गणेश भगवान् से क्षमा माँगा चाहिए फिर उसके बाद जल को पृथ्वी पर गिराने के बाद तीन बार उससे अपने माथे पर इसपर्श कर लेना चाहिए इस प्रकार करने से बुध ग्रह अनुकूल हो जाता है और व्यक्ति को शुभ फल प्रदान करता है | बुध ग्रह ख़राब होने से वाणी तो ख़राब होती हे है साथ में व्यक्ति का पुण्य क्षय होने लगता है जिससे व्यक्ति का कोई भी मनोकामना पुण्य नहीं होता है इस अवस्था में शुभ बोलना चाहिए जो व्यक्ति अच्छा बोलते है आप के द्वारा किसी का कल्याण हो किसी का भला हो तो भी बुध ग्रह अनुकूल हो जाते है और शुभ फल प्रदान करते है इसलिए बुध फल का विशेह प्रकार से पूजन पाठ कर के शांति करवाना चाहिए जिससे घर में कलेश न हो शारीरिक रोग न हो साथ में व्यक्ति का कल्याण हो |