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जीवित पुत्रिका व्रत का महत्व और पूजा विधि
जीवित पुत्रिका व्रत का महत्व और पूजा विधि
जीवित पुत्रिका व्रत स्त्रीयो का सर्वोत्तम व्रत है जिसमे संतान की प्राप्ति के लिए और सांता के जीवन दान के लिए लम्बी आयु की कामना के लिए स्त्रीया जो है निराजल व्रत रहकर जीवित पुत्रिका का व्रत रहती है | मंगल करनेवाले भगवन श्री राम चंद्र जी का आप सभी लोग का मंगल करे इस वर्ष जीवित पुत्रिका का व्रत २२ सितम्बर २०१९ दिन रविवार को पड़ेगा और जीवित पुत्रिका का व्रत का पारण २३ सितम्बर २०१९ दिन सोमवार प्रातकाल किया जाएगा जीवित पुत्रिका का जो यह व्रत है यह पुत्र या पोत्रो की आयु की वृद्धि के लिए स्तरीया यह व्रत को करती है | भारत देश में पूर्वी राज्यों जैसे बिहार, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश तथा बंगाल, ओर्रिसा आदि राज्यों में बड़े धूम धाम से यह व्रत को मनाया जाता है | इस व्रत का एक कथा है एक गंदर्भ राजकुमार जिसका नाम था जीमूत वाहन यह गंधर्बो के राजकुमार थे | जीमूत वाहन के पिता जब वृद हो गए तो उन्होंने अपने बड़े बेटे को जीमूत वाहन को गद्दी पर बैठा करके वानप्रस्त ये जंगल में तपस्या करने के लिए चले गए कुछ वर्षो तक जीमूत वाहन ने धर्म पूर्वक प्रजाओं का पालन किया और राज काज में उसका मन नहीं लगा अतः अपने पिता जी की सेवा करने के लिए अपने छोटे भाई को सिंघासन पर बैठा कर वह भी जंगल में चला गया उनके पत्नी का मलयवती था वह अपने पिता का सेवा सत्कार करने लगे एक दिन जीमूत वाहन जंगल में हवन करने के लिए पुष्प सविधा लेने के लिए गए थे तो टहलते हुए सायकाल को एक नदी के किनारे पहुंचे वहा पर उन्होंने देखा एक वृद्ध स्त्री रू रही है जीमूत वाहन वह पहुंच कर उससे पूछे की हे देवी आप कौन है उन्होंने कहा हे महा पुरुष मे नागवंश की स्त्री हूँ और मेरे रोने का कारन यह है की नागो ने गरुण वचन दिया है की आपको प्रतिदिन एक नाग बालक खिलाया जाएगा क्योंकि गरुण के भये से नाग लोग पृथ्वी और पातळ लोक जा कर छिप गए तो नागो ने प्राथना किया तो गरुण कहा की तुम लोग प्रतिदिन मुझे एक नाग बालक को खिलाओगे तो में तुम्हारा वध नहीं करूँगा वचन के अनुशार वह स्त्री बोली की आज मेरे पुत्र का समय है और यह जो सीला पठ रखा हुआ है इसी पर लाल वस्त्र में धक् कर अपने पुत्र को सुलाउंगी और गरुण देव आ कर मेरे बच्चे को को खा जाएंगे इसलिए मे रू रही हूँ की मेरे पुत्र की रक्षा कैसे होगी जीमूत वाहन ने कहा हे देवी आप चिंता मत करिये आज आपके पुत्र की जगह मई जाऊंगा और वचन अनुशार जीमूत वाहन जो है उस नाग बालक की जगह पर स्वयं लेट गए कुछ समय बाद गरुण जी अपनी लम्बी उड़ान उड़ते हुए अपने पंख के झपाके से उस स्व को उठाते हुए आकाश में उड़ गए और एक पर्वत के ऊपर जा कर उसक मॉस खाने लगे तो जब आधा अंग कह गए तो तो गरुण जी देखा की आज तक मैंने जिन नाग बालको को खाया है वह रोने लगते थे चिलाने लगते थे उनका झटका देने लगता था यह कौन है जो न रू रहा है और न हे झटका दे रहा है जब उन्होंने उसके चेहरे से पर्दा हटाया तो पूछा की तुम कौन हो तो राजा जीमूत वाहन ने सभी पहले की बाते बतला दी तो गरुण जी बहुत प्रसन्न हुए और बोले हे वीर मे तुम्हारी वीरता से प्रसन्न हूँ तुम्हारे अंगो कमाई कह रहा था तो एक नाग बालक को जीवन दान देने के लिए रोये भी नहीं तुम्हारे जैसा वीर इस पृथ्वी पर होना असंभव है इसलिए मई तुम पर प्रसन्न हो कर वर देता हूँ तो उन्होंने कहा गरुण जी आप मेरी वीरता से अगर प्रसन्न हुए है तो आप मुझे वचन दीजिये की आज के बाद आप किसी भी नाग बालकको नहीं खाएंगे तो गरुण जी कहा ऐसा ही होगा उसके बाद गरुण जी ने कहा हे राजन मे तुम्हे आशीर्वाद देता हूँ की आज के दिन जो लोग तुम्हारे नाम से यानि जीमूत वाहन (जीवित पुत्रिका) के नाम से व्रत जो स्तरीया करेंगी उनके बालोको कि आकाल मृत्यु नहीं होगी इसलिए उस दिन से प्रत्येक स्तरीय जो है अश्विनी मॉस के कृष्ण पक्ष के अष्टमी तिथि को इस व्रत को करती है और नौवीं तिथि को पारण करती है और इसमें नियम है की बिना कहए पिए इस व्रत को किया जाता है इसमें जल भी नहीं पिया जाता है निराजल हो कर विधि पूर्वक व्रत करने से साये काल इसका कथा होता है फिर दूसरे दिन व्रत का पारण किया जाता है व्रत का पारण करने के लिए नियम है स्नान आदि से निमृत हो कर और जो ब्राह्मण गरीबो को दान करके उन्हें भोजन करा कर के अब बाद में व्रत का पारण करना चाहिए ऐसा करने से उस स्त्री की मनोकामना पूर्ण होती है भगवन गरुण देव की कृपा से उसके पुत्र पोत्र पुत्रिकुल आदि की वृद्धि होती है और यह द्रिगायु होते है इसलिए इस व्रत का नाम जीवित पुत्रिका है |