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करवा चौथ व्रत
इस वर्ष करवा चौथ व्रत १७ अक्टूबर २०१९ दिन गुरुवार को पड़ रहा है इस व्रत को सुहागिन स्तरीया बड़े धूम धाम से मनाती है | कास कर भारत के पक्षिम प्रदेश राजस्थान, पंजाब, हरयाणा , गुजरात और दिल्ली आदि सारे भारत में इस व्रत को स्तरीया करती है यह व्रत चन्द्रमा और गणेश जी के लिए किया जाता है पाती के दृग आयु के लिए सुहागिन स्तरीया इस व्रत को करती है यह व्रत जो है बारह वर्ष या सोलह वर्षो तक लगातार करना चाहिए | करवा चौथ नामक एक देवी है उन्ही जे नाम पर यह व्रत किया जाता है इनका मंदिर राजस्थान के स्वाही माधोपुर नामक जिले में स्तिथ है यहाँ पर स्तरीया जो है चौथ माता का दर्शन और पूजन करती है इसके बाद चन्द्रमा को अर्घ देने का विधान है स्त्रीया जो है दिन भर उपवास करती है और रात्रि में जब चन्द्रमा का उदय होता है तो उस समय चंद्रदेव को अर्घ दे कर के चन्द्रमा का दर्शन करती है उसकी पश्चात भोजन ग्रहण करती है यह व्रत का विधान है इसके पीछे एक कथा भी है | एक साहूकार के साथ बेटे और एक पुत्री थी उस पुत्री का नाम था करवा साहूकार के जो सात बेटे थे वह अपनों छोटी बहन से बहुत प्रेम करते थे जब साथ में खाना खाते तो सबसे पहले अपने छोटी बहन को खिलाते उसके बाद तब स्वयं खाते थे जब उसकी शादी हो गयी शादी के पश्चात वह ससुराल चली गयी और कुछ वर्षो बाद मायके आयी तो साहूकार के सातो बेटे भोजन करने बैठे थे उसी समय उसकी बहन भी वह बैठी थी भूखी प्यासी सातो ने कहा भोजन कर लो बहन तो उसने कहा हे भाई आज में व्रत हूँ करवा चौथ का चन्द्रमा का दर्शन करने के बाद हे मैं भोजन ग्रहण करुँगी ऐसा सुन्न कर वह बहुत दुखी हुए तो उनमे से सबसे छोटे वाले भाई ने एक घी का दीपक जलाया और एक पीपल के वृक्ष पर रख दिया और उसके आगे एक चलनी रख दिया दूर से देखने में ऐसा प्रतीत होने लगा की चनद्रम उदय हो गया है और वह जा कर के अपनी छोटी बहन से कहता है की हे बहन देखो चंद्र देव उदय हो गए है अब तुम उनका दर्शन कर के पूजन कर के पूजन कर लो छोटी बहन प्रसन्ता पूर्वक सीढिया चढ़ कर के जब देखि प्रकाश का प्रतिबीम तो उससे लगा की चन्द्रमा उदय हो गया अतः चन्द्रमा को अर्घ दे कर के वह pranam कर के भोजन करने बैठी तो उसने पहला खौर उठाया खाने के लिए तोह उससे झीक आ गयी उसके बाद दूसरा खौर उठायी तो बाल निकल आया उसके बाद तीसरे खौर में उससे समाचार मिला की तुम्हारे पति की मित्यु हो गयी है अतः वह दुखी हो कर के विलाप करने लागिबोर अपने पति के सव के पास बैठ कर के प्रतिज्ञा की की जब तक मैं अपने पति को जीवित नहीं कर लुंगी तब तक मैं अन्य और जल का त्याग करुँगी उसके छोटे भाई की पत्नी ने उससे सारी बात बतला दी थी चंद्रदेव उदय नहीं हुए थे तुम्हारे छोटे भाई ने घी का दीपक जला कर के चलनी से धक् कर रख दिया था उससे देख कर मालुम हुआ की चन्द्रमा उदय हो गया है तुम्हारा व्रत खंडित हो गया यह सब सुन्न कर उससे बहुत दुःख हुआ वह प्रतिज्ञा की की मैं करवा चावत का व्रत करूंगी और अपने पति को जीवित करुँगी यह संकल्प के साथ वह अपने पति के सव की सेवा करने लगी | धीरे धीरे सूई नुमा घास उसके पति के शरीर पर उगने लगे उन् घासो को वह नोच कर के वह इक्कठा करने लगी इस प्रकार जब साल भर बीत गया तो करवा चौथ के दिन उसने व्रत किया उसकी भाभियाँ उसके पास जब आशीर्वाद लेने के लिए आयी तो वह कहने लगी की हे भाभी यह सुई लेलो यानि याम सुई लेलो प्रिय सुई देदो और मेरे पति को जीवित करो सभी भाभियाँ गबरायी और ताल मतूल करने लगी बड़ी ने कहा तुम छोटी के पास जाओ और छोटी ने कहा तुम उससे छोटी के पास जाओ इस प्रकार छह भाभियाँ चली गयी लेकिन छठी भाभी ने कहा जो सबसे छोटी भाभी है तुम उनसे यह बात कहो क्यूंकि उन्ही के पति के कारण तुम्हारे पति की मृत्यु हुई है और वह पति व्रता है और यदि वह चाहेगी तो तुम्हारा पति जीवित हो जाएगा | तुम उसके पैर पड़ कर बैठ जाना जब छोटी भाभी आयी आशीर्वाद लेने के लिए तो उसने कहा हे भाभी यम सुई लेलो प्रिय सुई देदो मेरे पति को चिरंजीवी बनाओ तोह उसने कहा मैं कैसे तुम्हारे पति को जीवित करुँगी पर वह उसके पैर पकड़ कर बैठ गयी और रोने लगी उससे देख कर वह भी द्रवित हो गयी फिर उसने अपनी कानि ऊँगली को चिर कर उसमे से एक बूँद खून उसके पति के मुख में डाला क्यूंकि उसके कानि ऊँगली में भगवान् के आशीर्वाद से अर्घ अमृत का निवास था उसका पति जो है वह जीवित हो उठा उसके पश्चात तबसे यह करवा चौथ का व्रत भारत में प्रचिलित हो गया | पति के जीवित होने के बाद उसने भगवान् गणेश की विधि विधान से पूजन किया चन्द्रमा का पूजन किया और सबलोग साथ में बैठ कर भोजन ग्रहण किये यह चतुर्थी तिथि के देवता यानि गणेश जी के होते है उसी दिन किया जाता है उसके बाद चन्द्रमा को जल देना चाहिए उस दिन सुहागिन स्तरीया चन्द्रमा के उदय होने के बाद चलनी इ चन्द्रमा का दर्शन करती है कही कही लोग अपने पति के मुख का दर्शन करती है उसके बाद पति अपने हातो से जल पिलाते है और वह अपने पति के साथ प्रसाद ग्रहण करती है इस व्रत को करने से सुहनगिन स्त्रीयो की पतियों की आयु बढ़ती है और वह इस पृथ्वी पर सारे सुखो का उपभोग करके मरने केपश्चात यह लोग भगवान् गणेश के प्रणाम धाम को चले जाते है अपने कर्मा अनुशार कुछ विष्णु लोक को जाते है और कुछ लोग शिव लोक कोचले जाते है माता पार्वती parsanna हो करके उन् सुहनगिन स्त्रीयो को आशीर्वाद प्रदान करती है |