Nov
25
राम जन्म भूमि
राम जन्म भूमि
श्री रामचंद्र जी का जन्म इस भारत वर्ष में हुआ था कहा गया है की जम्बू दीप में क्यूंकि जब पृथ्वी साथ भागो में बटी हुई है तो जम्बू दीप में भारत नमक खंड में अयोध्या नामक देश में भगवान् श्री राम चंद्र जी का जन्म हुआ था उस समय अयोध्या एक देश था जिसको कौशल प्रदेश भी कहा जाता था | वर्तमान में यह भारत देश में उत्तर प्रदेश प्रान्त में अयोध्या नामक नगरी सरयू के तट पर स्तिथ है वही पर श्री राम चंद्र जी का जन्म हुआ था इसके बारे में वर्णन मिलता है की त्रेता युग में रक्ष राज रावण का अत्याचार बढ़ गया था दानवो के आक्रमण से रक्षा के आक्रमण से देवता जब घबरा गए और पृथ्वी जब घबरा गयी मनुष्य लोक में हाहाकार मच गया तथा याग इत्यादि सभी कार्य बंद हो गए और चारो तरफ अधर्म हे अधर्म फ़ैल गया उस समय देवता माता पृथ्वी ऋषि गण सिद्ध गंदर्भ सभी लोग ब्रह्मा जी के पास गए ब्रह्मा जी शिव जी के पास गए शिव जी ब्रह्मा आदि देवताओ के साथ विष्णु जी की खोज करने लगे तो किसी ने कहा भगवान् विष्णु इंद्रलोक में है किसी ने कहा क्षीर सागर में है तब भगवान् शिव ने कहा की भगवान् हर तरफ है और वही कड़े हो कर सभी लोग भगवान् विष्णु की स्तुति करने लगे भगवान् विष्णु प्रकट हुए और भगवान् विष्णु ने देवताओ से कहा हे देवताओ हे ऋषियों हे गंधर्बो आप लोग डरिये मत और अपने अपने लोको में जाये में अपने अंशो के सहित इस पृथ्वी पर जन्म लूंगा उन्होंने बताया की महिर्षि कश्यप और अदिति ने घोर तपस्या किया था उन्दोनो को मैंने वरदान दिया था की मैं तुम्हारे पुत्र के रूप में जन्म लूंगा कश्यप जो है वह राजा दसरथ के रूप में अयोधया में राज कर रहे है और उनकी पत्नी का नाम कौशल्या है जो अदिति के नाम से जनि जाती थी अतः में उन्ही के यहाँ पुत्र रूप में जन्म लूंगा तो भगवान् श्री राम चंद्र के रूप में उन्होंने जन्म लिया अयोधया में राजा दसरथ के घर में इसलिए अयोधया भगवान् श्री राम चंद्र जी का जन्म स्थली है | बहुत से लोग इस्पे विचार भी करते है और सनका भी करते है परन्तु यह सनका करने की कोई बात नहीं है क्यूंकि यह प्रमाणित बात है की भगवान् का जो जन्म स्थल है वह अयोध्या नगरी ही है आगे वर्णन मिलता है की भगवान् श्री राम चंद्र जी माता सीता और लक्ष्मण के साथ जंगल में गए पंचवटी में सुपनखा का नाक लक्ष्मण जी ने काटा था तो सूपनखा करदुषण के पास गयी तो वह सब मारे गए फिर रावण के पास गयी रावण ने सीता का हरण किया तो उस समय सीता जी खोजने के लिए राम और लक्ष्मण दू भाई सबरी के आश्रम में गए सबरी ने बताया की आपलोग ऋषिमुख पर्वत में जाये ऋषिमुख पर्वत भारत के कर्नाटक में स्तिथ है यह बलि का राजधानी कंपापुर कर्नाटक में था क्यूंकि वहा से दंड कारण जंगल में हे गिना जाता था भगवान् राम चंद्र जी लक्ष्मण जी के साथ ऋषिमुख पर्वत के तरफ जा रहे थे | तो दूतो के द्वारा सुग्रीव को मालुम चला की की कोई दो वीर पुरुष हमारे तरफ आ रहे है तो हनुमान जी को दूत बना कर भेजा की आप जाये उनके बारे में पता करिये की वो लोग कौन है? तो हनुमान जी ब्राह्मण का रूप धारण कर के आये और उन दोनों लोगो से पूछा की आप कौन है ? कहा से आये है ? और किस लिए आये है ? उस समय भगवान् श्री राम चंद्र जी ने कहा हमलोग कौशल प्रदेश के राजा महाराज दसरथ के पुत्र है और अपने पिता के आज्ञा का पालमन करने के लिए इस जंगल में आये हुए है | इससे सिद्ध होता है की भगवान् राम का जन्म अयोधया नगरी में हुआ था और राम परम पुरुष परमात्मा है और वह परम ब्रह्म है क्यूंकि राम जी सीता माता की खोज करते हुए जंगलमे भटक रहे थे तो भगवान् शिव पारवती जी के साथ महिर्षि अगस्त के आश्रम से कैलाश को वापस लौट रहे थे तो उन्होंने राम जी को देखा और दूर से हे प्रणाम किया तो सती ने पूछा हे भगवान् यह कौन है ? भगवान् ने कहा यह परम पुरुष परमात्मा परमब्रह्म मेरे इष्ट देवता है | सती को विश्वास नहीं हुआ शिव जी परम करके दूर चले गए क्यूंकि शिव ज ने कहा यह लीला कर रहे है और उनके आमने जाना उचित नहीं है इसलिए देवी यही से प्रणाम कर लीजिये | सती के मैं में सनका हुआ की यह कैसे परम पुरुष परम ब्रह्म है जो एक नारी के लिए जंगल में इधर से उधर भटक रहा है अतः परीक्षा लेने के लिए सती जो है वह सीता जी का रूप धारण करके गयी और भगवान् ने पहचान लिया भगवान् ने देवी सती को प्रणाम किया और कहा हे देवी आप इस जंगल में अकेले कहा भटक रही है तब माता पारवती जी बहुत लज्जित हुई और वह से वापस चली गयी | कैलाश पर्वत पे भगवान् शिव ने कहा – हे देवी आपने परीक्षा ले लिया | तब सती ने कहा – हे भगवान् मैंने कुछ परीक्षा नहीं लिया | लेकिन शिव जी ने मन हे मन जान गए क्यूंकि वह अंतर्यामी है उन्होंने सती का त्याग कर दिया क्यूंकि उन्होंने सीता का रूप धारण किया हुआ था तो भगवान् शिव ने सोचा जो आराध्य देव हमारे राम है उनकी पत्नी सीता है और उनके रूप में सती सीता के रूप में दिखाई दी इसलिए मन हे मन उनका त्याग कर दिया की अब से मेरा और आपका मुलाकात नहीं होगा और सती भी जान गयी | तो भगवान् राम जी परम पुरुष परम ब्रह्म है भगवान् शिव ने भी उनको प्रमाणित किया है इसलिए कहा गया है की इस कलयुग में सारे लोग पाप करने लिपत हो जाएंगे यज्ञ ,जप,तप, व्रत सब बंद हो जाएगा उससे उद्धार करने के लिए भगवान् राम का नाम ही सबसे बड़ा माना गया है | कलयुग ने भगवान राम का नाम लेने से ही मनुष्यो का उद्धार हो जाएगा ऐसा शास्त्रों में वर्णित है | इसलिए भगवान् राम के नाम का और उनका स्तुति करना चाहिए पाठ करना चाहिए स्मरण करना चाहिए | ऐसा करने से मनुष्यो के सभी पाप नष्ट हो जाते है तथा पूर्ण की प्राप्ति होती है |