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मकर संक्रांति
मकर संक्रांति
प्रत्येक वर्ष की भाति मकर संक्रांति १५ जनवरी २०२० दिन बुधवार को मकर संक्रांति का पर्व पूरे भारत वर्ष में धूम धाम से मनाया जाता है | भारत के अलावा नेपाल में भी इस त्यौहार को धूम धाम से मनाया जाता है | माघ कृष्ण पक्ष तिथि पंचमी को दिन बुधवार को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे प्रवेश करने का समय है सुबह ८:२४ मिनट में तब यह त्यौहार मनाया जाएगा क्यूंकि सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना हे मकर शङ्करंति कहलाता है | दूसरी बात यह है की भारत देश उतरी गोलर्द्ध में बसा हुआ है जब सूर्य मकर राशि में आते है तो मकर से पहले सूर्य जो है दक्षिण गोलर्द्ध में रहते है और दक्षिणी गोलर्द्ध से सूर्य की प्रकाश भारत तक आने में थोड़ा समय लगता है तो इसलिए भारत में रात बड़ी दिन छोटा होता है और सरसी का मौसम बना रहता है | परन्तु जो भी सूर्य जो है मकर राशि में प्रवेश करता है तो उत्तरी गोलर्द्ध के तरफ सूर्य आने लगते है जिससे दिन बड़ी होने लगती है और मौसम गर्म हो जाता है इसका एक महत्व है | जब सूर्य नजदीक आते है तो उसकी किरणे कल्याण कारी होती है | सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते है तो छह माह तक देवताओ का दिन प्रारम्भ हो जाता है और जब कर्क राशि में प्रवेश करते है तो छह माह तक देवताओ की रात्रि और असुरो का दिन प्रारम्भ होता है क्यूंकि दक्षिणायन से पूर्व असुरो की दीं होती है और देवताओ की रात्रि होती है | दिन का अर्थ है है प्रकाश और उससे सारे लोगो को ऊर्जा प्राप्त होती है जिससे मनुष्यो को अपने कार्य करने में प्रसन्ता प्राप्त होती है शास्त्रो में कहा गया है की माघ माह में जो लोग गनगा आदि नदियों में स्नान करते है भगवान् शिव की कृपा से उनकी साड़ी बीमारिया तथा रोग दूर हो जाती है साथ में वह व्यक्ति घी और कम्बल आदि का दान करते है तो इस पृथ्वी पर वह व्यक्ति समस्त सुखो का उपभोग करता है तथा मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है | दूसरी तरफ नयी फसल और नयी ऋतू के आगमन के तोर पे भी मकर संक्रांति मनाई जाती है पंजाब, उत्तर प्रदेश , बिहार आदि राज्यों में नयी फसल काटने का भी समय होता है | खेतो में गेहू और धान की लैह लाती हुई फसली किशानो की म्हणत का परिणाम होती है | पंजाब और जम्मू आदि क्षेत्रो में इसे लोहरी के नाम से मनाया जाता है | तमिल नाडु में इससे पोंगल में नाम से मनाया जाता है और उत्तर प्रदेश में इसे खिचड़ी के नाम से जाना जाता है | शास्त्रो में यह कहा गया है की उस दिन जो व्यक्ति गनगा में स्नान करके जप, तप, व्रत करते है तथा उस दिन भगवान शिव का रूद्र अभिषेक करते है उन्हें सभी प्रकार की बिमारी से छुटकारा मिलता है तथा आरोग्यता की प्राप्ति होती है साथ में जो लोग भगवान् विष्णु माता लक्ष्मी की पूजा करते है उनके घर में कभी दरिद्रता नहीं आती है | जो लोग देवी का अनुष्ठान करते है उनके घर में कोई भी कमजोर नहीं होता है सभी लोग बलवान वह स्वस्थ रहते है उस दिन किया गया पूजा पाठ से दुगना फल की प्राप्ति होती है तथा लोगो का सम्मान करना चाहिए जिससे दिव्या पुनः की प्राप्ति होती है और मनुष्यो का कल्याण होता है | कहा गया है की उस दिन जो लोग सोते है उनकी शारीरिक पीड़ा बढ़ जाती है और हमेसा घर में दरिद्रता रहती है इसलिए प्रातः काल उठ कर गंगा स्नान आदि करके भगवान् के नाम का स्मरण करना चाहिए और सूर्य भगवान् को जल अर्पित करना चाहिए सात में दान पुण्य करना चाहिए |