Jan
08
श्री राम कथा कलयुग में केवल नाम ही आधार है
श्री राम कथा कलयुग में केवल नाम ही आधार है
कलयुग का भगवान् का नाम ही बहुत महत्व लगता है | इस कलयुग में चाहे वह मनुष्य क्यों न हो या कोई जीव ही हो विशेष करके मनुष्य जीव में जो भी मानव है चाहे वह कितना बड़ा ही धर्मात्मा क्यों न हो परन्तु उससे भी अपराध होता रहता है इसलिए भगवान् राम चंद्र जी का नाम ही सबसे क्षेत्र है | भगवान् शिव कहते है की कलयुग में भगवान् का नाम लेने से मनुष्य सब पापो से मुक्त हो कर भगवान् विष्णु के परम धाम को चला जाता है और मोक्ष की प्राप्ति करता है परन्तु मोक्ष प्राप्ति का साधन है भगवान् का कीर्तन , भजन , स्तुति और कथा सुनना |
नाम लेखन से मन शीघ्र एकाग्र होता है | प्रभु से जुड़ने के अनेक माध्यम हमारे सद्ग्रंथो, ऋषि मुनियों एवं संतो द्वारा बताये गये है, उनमे से एक है हरि नाम (ram nam) जप और नाम लेखन | ‘राम‘,’कृष्ण‘,’शिव‘,’राधे‘ जो नाम आपको प्रिय लगे उसी को पकड़ लो तो बेडा पार हो जायेगा | नाम में भेद करना नाम – अपराध है,यही प्रयास करे की हमारे द्वरा कभी नाम अपराध न बने | * सतयुग में तप,ध्यान , त्रेता में यग्य,योग, और द्वापर में जो फल पूजा पाठ और कर्मकांड से मिलता था वाही फल कलियुग में मात्र हरि नाम(ram nam) जप या नाम लेखन से मिलता है | * नाम लेखन में मन बहुत जल्दी एकाग्र होता है | नाम जप से नाम लेखन को तीन गुना अधिक श्रेष्ठ माना गया है क्योकि नाम लेखन से नाम का दर्शन, हाथ से सेवा नेत्रों से दर्शन और मानसिक उच्चारण, ये तीन कम एक साथ होते है | तो शुरू करते है श्री रामकथा :- “जय श्री राम – सीता राम ” श्री रामचरितमानस अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा १६वीं सदी में रचित एक महाकाव्य है। इस ग्रन्थ को अवधी साहित्य (हिंदी साहित्य) की एक महान कृति माना जाता है। इसे सामान्यतः ‘तुलसी रामायण’ या ‘तुलसीकृत रामायण’ भी कहा जाता है। रामचरितमानस भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है। रामचरितमानस की लोकप्रियता अद्वितीय है। उत्तर भारत में ‘रामायण’ के रूप में बहुत से लोगों द्वारा प्रतिदिन पढ़ा जाता है। शरद नवरात्रि में इसके सुन्दर काण्ड का पाठ पूरे नौ दिन किया जाता है। रामायण मण्डलों द्वारा मंगलवार और शनिवार को इसके सुन्दरकाण्ड का पाठ किया जाता है। श्री रामचरित मानस के नायक श्रीराम हैं जिनको एक महाशक्ति के रूप में दर्शाया गया है जबकि महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण में श्री राम को एक मानव के रूप में दिखाया गया है। तुलसी के प्रभु राम सर्वशक्तिमान होते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। गोस्वामी जी ने रामचरित का अनुपम शैली में दोहों, चौपाइयों, सोरठों तथा छंद का आश्रय लेकर वर्णन किया है। श्री रामचरित मानस में अध्याय :-
- बालकाण्ड
- 2- अयोध्याकाण्ड
- 3- अरण्यकाण्ड
- 4- किष्किन्धाकाण्ड
- 5- सुन्दरकाण्ड
- 6- लंकाकाण्ड (युद्धकाण्ड)
- 7- उत्तरकाण्ड