Jan
20
बसंत पंचमी
बसंत पंचमी
बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती की पूजा की जाती है इस वर्ष बसंत पंचमी ३० जनवरी २०२० दिन गुरूवार को मनाया जाएगा | बसंत पंचमी का पूजन का समय है सुबह से लकर १०:२८ मिनट तक उस दिन सरस्वती पूजा करने से भगवती सरस्वती प्रसन्न हो करके अपने भक्तो को स्थिर बुद्धि , मेघा बुद्धि तथा मानसिक शांति प्रदान करते है | पुराणों के अनुशार एक कथा है |सृष्टि रचना के दौरान भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने जीवों, खासतौर पर मनुष्य योनि की रचना की| ब्रह्माजी अपने सृजन से संतुष्ट नहीं थे| उन्हें लगा कि कुछ कमी है जिसके कारण चारों ओर मौन छाया है| विष्णु से अनुमति लेकर ब्रह्मा ने अपने कमण्डल से जल का छिड़काव किया, पृथ्वी पर जलकण बिखरते ही कंपन होने लगा| इसके बाद वृक्षों के बीच से एक अद्भुत शक्ति प्रकट हुई| यह शक्ति एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री थी| जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरे हाथ में वर मुद्रा था| अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी| ब्रह्माजी ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया| जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, संसार के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हुई| जलधारा में कोलाहल व्याप्त हुआ| पवन चलने से सरसराहट होने लगी| तब ब्रह्माजी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा| सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है| पंचमी के समय जो वातावरण होता है वह बसंत ऋतू का आगमन होता है उस समय खेतो में सुन्दर सुन्दर सरसो के फूल कील जाती है और सूर्य की किरणे पड़ने से वह स्वर्ण के सामान दिखाई देती है उसी समय जौ और गेहू की फलयीया लगने लगती है | चारो तरफ हरियाली हो जाती है | सुन्दर वातावरण हो जाता है मनोवो में प्रसन्त्ता होती है लोग गीत गुन गुनाने लगते है | कोयल जो है वो सुन्दर सुन्दर गान करने लगती है चारो तरफ प्रसन्न्ता प्रसन्ता हे फ़ैल जाती है | क्यूंकि उस दिन देवी सरस्वती का पूजन किया जाता है |
पूजा करने की विधि- सर्व प्रथम लकड़ी के काठ पर पीला वस्त्र बिछा करके सरस्वती की मूर्ति या फोटो रखे उसके बाद नीचे गणेश गौरी की पूजा करे , कलस स्थापित करे उसकी बाद देवी सरस्वती की पूजा करे हाथ में पीला पुष्प लेकर देवी सरस्वती से प्राथना करना चाहिए की हे देवी हमारी वाणी मीठी मीठी हो तथा हम प्रसन्ना हो तथा हमारा मैं सदैव प्रसन्न रहे चारो तरफ शांति हे शांति हो तथा हमलोग किसी को दुःख न पहुचाये इसके बाद पुष्प ुंजके चरण कमलो में चढ़ाना चाहिए उसके पश्चात जल से चार बार आचमन करना चाहिए पुनः पंचामृत से स्नान कराये फिर शुद्ध जल से स्नान कराये फिर सुन्दर वस्त्र पहनना चाहिए जो की पीले रंग की हो उसके पश्चात उपवस्त्र पहनना चाहिए देवी को पीला टिका और रोरी लगाए उसके पश्चात पीले पुष्प की माला पहनना चाहिए फिर गुलाब के फूल की माला पेहनंना चाहिए देवी के चरण कमलो में सिन्दूर लगाना चाहिए उसके बाद पीले मीठे का भोग लगाए फिर चार बार आचमन करना चाहिए उसके बाद धुप बत्ती दिया दिखाए फिर फल चढ़ाये फिर ताम्बूल चढ़ाना चाहिए जिसमे लौंग , इल्ल्याची, सुपारी, और पान की पत्ति होती है फिर दक्षिणा चढ़ाए |
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा भी की जाती है। मां सरस्वती ज्ञान की देवी मानी जाती है। गुरु शिष्य परंपरा के तहत माता-पिता इसी दिन अपने बच्चे को गुरुकुल में गुरु को सौंपते थे। यानि बच्चों की औपचारिक शिक्षा के लिये यह दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। विद्या व कला की देवी सरस्वती इस दिन मेहरबान होती हैं इसलिये उनकी पूजा भी की जाती है। इसलिये कलाजगत से जुड़े लोग भी इस दिन को अपने लिये बहुत खास मानते हैं। जिस तरह सैनिकों के लिए उनके शस्त्र और विजयादशमी का पर्व, उसी तरह और उतना ही महत्व कलाकारों के लिए बसंत पंचमी का है| चाहे वह कवि, लेखक, गायक, वादक, नाटककार हों या नृत्यकार, सब इस दिन का प्रारम्भ अपने उपकरणों की पूजा और मां सरस्वती की वंदना से करते हैं|
2 Comments
You made several good points there. I did a search on the subject and found a good number of people will have the same opinion with your blog. Tessa Justen Giliane
You made certain good points there. I did a search on the subject and found mainly folks will consent with your blog. Polly Thebault Meggy