Jul
27
श्रावण मास में बेल पत्र का महत्त्व
भगवान आशुतोष की आराधना में बेल पत्र यानी बिल्व पत्रों का विशेष महत्त्व हैं। मान्यता हैं की आस्था के साथ शिवलिंग पे केवल बिल्व पत्रों को अर्पित करने पे भी भगवान शिव शंकर अपने भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं सावन महीने में बाबा भोलेनाथ की पूजा की जाती हैं। पुरे महीने भगवान शंकर की पूजा दिव्य रूप से की जाती हैं । इसीलिए कहा जाता हैं की भगवान शिव को उनकी पसंद की चीजों को अर्पित करने से भगवान शिव प्रशन्न हो जाते हैं। वैसे तो भगवान शिव की पूजा में बहुत सारी चीजें चढ़ाई जाती हैं, लेकिन बेलपत्र का विशेष महत्त्व होता हैं । बिल्वाष्टक और शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव जी को बेल पत्र अति प्रिय हैं तथा ऐसा भी माना जाता हैं की बिना बेल पत्र के भगवान शिव की उपासना पूरी नहीं होती हैं। बेलपत्रों द्वारा पूजन करने से हमारे पापों का नाश होता हैं और हमे सत्बुद्धि प्राप्त होती हैं ।
बेलपत्र चढाने के लाभ
- इसका सबसे बड़ा लाभ होता हैं की भगवान शंकर बहुत प्रसन्न होते हैं और हमारी सारी मनोकामनाए पूरी कर देते हैं।
- वंही बेलपत्र चढाने से सुख के साथ घर में वैभव और धन भी आता हैं । यानी आपको कभी भी आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा ।
- यदि व्यक्ति अपने पापो से मुक्ति पाना चाहता हैं,तो उसे बेलपत्र पे “ॐ नमः शिवाय या हम राम राम ” भी लिखकर उस बेलपत्र को भगवान शिव शंकर को अर्पित करने से हमारे पापो के दोष कम होते हैं।
बेलपत्र पूजा की कहानी –
स्कंद पुराण के अनुसार, एक बार माता पार्वती जी के पसीने के बूंद मन्दरांचल पर्वत पर गिर गई और उससे बेलपत्र का पेड़ निकल आया । चूँकि माता पार्वती के पसीने से बेलपत्र पेड़ का उद्भव हुआ । अतः इसमें इसी कारण माँ पार्वती के सब रूप निवास करती हैं । वे पेड़ की जड़ में गिरिजा स्वरुप में, तनों में महेश्श्वरी के रूप में हैं,और शाखाओं दक्छिनायनी व पत्तियाँ पार्वती स्वरुप हैं, फलो में कात्यायनी स्वरुप व फूलों में गौरी स्वरुप निवास करता हैं । इन सब रूप के अलावा समस्त पेड़ पे माँ लक्ष्मी का रूप निवास करता हैं और बेलपत्र में माता पार्वती का प्रतिबिम्ब होने के कारण इसे भगवान शिव पर चढ़ाया जाता है। और भगवान शिव पर बेलपत्र चढाने से वे प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं। जो व्यक्ति किसी तीर्थस्थान पर नहीं जा सकता हैं अगर “वह श्रावण मास में बिल्व के पेड़ के मूल भाग की पूजा करके उसमे जल अर्पित करे तो उसे सभी तीर्थो के दर्शन का पुण्य मिलता हैं।“
बेलपत्र चढ़ाते हुए किस मंत्र का उच्चारण करे-
भोलेनाथ को बेलपत्र अर्पित करते समय पौराणिक मंत्र ‘त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम्। त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्॥’ का उच्चारण करें।