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सावन अमावस्या का महत्व, तिथि तथा समय
सावन अमावस्या या हरियाली अमावस्या हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन मास में आने वाली अमावस्या को श्रावणी अमावस्या कहा जाता है,चूँकि इस मास से सावन महीने की शुरुआत होती है,इसलिए इसे हरियाली अमावस्या भी कहते हैं।प्रत्येक अमावस्या की तरह श्रावणी अमावस्या पर भी पितरों की शांति के लिए पिंडदान और दान-धर्म करने का महत्व है।सावन मास में महादेव के पूजन का विशेष महत्व है इसलिए हरियाली अमावस्या पर विशेष तौर पर शिवजी का पूजन-अर्चन किया जाता है।यह अमावस्या पर्यावरण के संरक्षण के महत्व व आवश्यकता को भी प्रदर्शित करती है।
सावन अमावस्या का महत्व
हिन्दू धर्म में अमावस्या का अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान है। अमावस्या के दिन हर व्यक्ति अपने पितरों को याद करते हैं और श्रद्धा भाव से उनका श्राद्ध, अपने पितरों की शांति के लिए हवन,ब्राह्मण को भोजन कराते हैं और साथ ही दान-दक्षिणा भी देते है। शास्त्रों के अनुसार इस तिथि के स्वामी पितृदेव हैं।अमावस्या में सावन मास की अमावस्या का अपना अलग ही महत्व है।इसे हरियाली अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। यह त्यौहार सावन में प्रकृति पर आई बहार की ख़ुशी में मनाया जाता है। हरियाली अमावस्या पर पीपल के वृक्ष की पूजा एवं फेरे किये जाते है तथा मालपूए का भोग बनाकर चढ़ाई जाती है।
सावन अमावस्या या हरियाली अमावस्या तिथि तथा समय
सावन अमावस्या या हरियाली अमावस्या हिन्दू कैलेंडर के अनुसार सावन के महीने में अमावस्या के दिन मनाई जाती है। इस साल यानि 2021 में सावन अमावस्या 8 अगस्त (दिन) रविवार को पड़ रहा है।