Aug
09
हरियाली तीज का महत्व और पौराणिक व्रत कथा
हरियाली तीज का उत्सव सावन मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह उत्सव महिलाओं का उत्सव माना जाता है।सावन में जब सम्पूर्ण प्रकृति हरी-भरी होती है उस अवसर पर महिलाओं के मन मयूर नृत्य करने लगते है। और वृक्ष की शाखाओं में झूले पड़ जाते है।यह सुहागनों के लिए सबसे उत्तम व्रत है। हरियाली तीज के दिन शिव-पार्वती की संयुक्त उपासना से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।
हरियाली तीज का महत्व
- इस व्रत का संबंध भगवान शिव और माता पार्वती से है।
- यह शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है इस दिन महिलाऐ निर्जला व्रत रखने का संकल्प लेती है।
- मुख्य रुप से ये पर्व मनचाहे और योग्य पति की कामना के लिए रखा जाता है। हालांकि कोई भी स्त्री ये व्रत को रख सकती है।
- इस व्रत को लेकर मान्यता ये भी है की भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए माँ पार्वती ने वर्षो तक जंगल में घोर तपस्या की तथा बिना जल और बिना आहार के तप करने के बाद उन्हें भगवान शिव ने पत्नी रूप में स्वीकार किया था।
पौराणिक व्रत कथा-:-
हरियाली तीज व्रत कथा इस प्रकार है।
शिवजी कहते हैं -हे पार्वती! बहुत समय पहले तुमने हिमालय पर मुझे वर के रूप में पाने के लिए घोर तप किया था। इस दौरान तुमने अन्न-जल त्याग कर सूखे पत्ते चबाकर दिन व्यतीत किए थे। किसी भी मौसम की परवाह किए बिना तुमने निरंतर तप किया। तुम्हारी इस स्थिति को देखकर तुम्हारे पिता बहुत दुखी थे।ऐसी स्थिति में नारद जी तुम्हारे घर पधारे। जब तुम्हारे पिता ने नारद जी से उनके आगमन का कारण पूछा,तो नारद जी बोले -‘हे गिरिराज! मैं भगवान विष्णु के भेजने पर यहां आया हूं।आप की कन्या की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर वह उससे विवाह करना चाहते हैं।इस बारे में मैं आपकी राय जानना चाहता हूं।’ नारद जी की बात सुनकर पर्वतराज अति प्रसन्नता के साथ बोले-हे नारदजी।यदि स्वयं भगवान विष्णु मेरी कन्या से विवाह करना चाहते हैं,तो इससे बड़ी कोई बात नहीं हो सकती। मैं इस विवाह के लिए तैयार हूँ।’
फिर शिव जी पार्वती जी कहते हैं- ‘तुम्हारे पिता की स्वीकृति पाकर नारद जी,विष्णु जी के पास गए और यह शुभ समाचार सुनाया। लेकिन जब तुम्हें इस विवाह के बारे में पता चला तो तुम्हें बहुत दुःख हुआ।तुम मुझे यानि कैलाशपति शिव को मन सेअपना पति मान चुकी थी।तुमने अपने व्याकुल मन की बात अपनी सहेली को बताई। तुम्हारी सहेली ने सुझाव दिया कि वह तुम्हें एक घनघोर वन में ले जाकर छुपा देगी और वहां रहकर तुम शिव जी को प्राप्त करने की साधना करना। इसके बाद तुम्हारे पिता तुम्हें घर में न पाकर बड़े चिंतित और दुखी हुए। और उन्होंने तुम्हारी खोज में धरती-पाताल एक करवा दिए लेकिन तुम ना मिली।
तुम वन में एक गुफा के भीतर मेरी आराधना में लीन थी। और सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को तुमने रेत से एक शिवलिंग का निर्माण कर मेरी आराधना की जिससे प्रसन्न होकर मैं ने तुम्हारी मनोकामना पूर्ण की।इसके बाद तुमने अपने पिता से कहा कि ‘पिताजी,मैं ने अपने जीवन का लंबा समय भगवान शिव की तपस्या में बिताया है और भगवान शिव ने मेरी तपस्या से प्रसन्न होकर मुझे स्वीकार भी कर लिया है।अब मैं आपके साथ एक ही शर्त पर चलूंगी कि आप मेरा विवाह भगवान शिव के साथ ही करेंगे।’पर्वतराज ने तुम्हारी इच्छा स्वीकार कर ली और तुम्हे घर वापस ले गए। कुछ समय बाद उन्होंने पूरे विधि-विधान से हमारा विवाह किया।’
भगवान शिव ने इसके बाद कहा कि-‘हे पार्वती! तृतीया को तुमने मेरी आराधना करके जो व्रत किया था,उसी के परिणाम स्वरूप हम दोनों का विवाह सम्भव हो सका।इस व्रत का महत्व यह है कि मैं इस व्रत को पूर्ण निष्ठा से करने वाली प्रत्येक स्त्री को मनवांछित फल देता हूं। भगवान शिव ने पार्वती जी से कहा कि इस व्रत को जो भी स्त्री पूर्ण श्रद्धा से करेंगी उसे तुम्हारी तरह अचल सुहाग प्राप्त होगा।
हरियाली तीज का तिथि तथा दिन-:-
हरियाली तीज आमतौर पर नाग-पंचमी के दो दिन पूर्व यानि सावन माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया को आती है। जो कि इस साल यह 11 अगस्त दिन बुधवार 2021 को है।
ऐसी और पौराणिक कथाएं सुनने के लिए, आप पावन ऐप का प्रयोग भी कर सकते हैं।