Jul
17
संकष्टी चतुर्थी की पूजा का महत्त्व, तिथि और विधि
हिंदी पंचांग के प्रत्येक मास के दोनों पक्षों की चतुर्थी की तिथि भगवान गणेश जी को समर्पित है। पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं और अमावस्या के बाद आनेवाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। हालाँकि संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर महीने में होता है।संकष्टी चतुर्थी अगर मंगलवार के दिन पड़ती है तो उसे अंगारकी चतुर्थी कहते हैं और इसे बहुत ही शुभ माना जाता है। पश्चिमीऔर दक्षिणी भारत में और विशेष रूप से महाराष्ट्र और तमिलनाडु में संकष्टी चतुर्थी का व्रत अधिक प्रचलित है।
संकष्टी चतुर्थी तिथि
संकष्टी चतुर्थी का व्रत 27 जुलाई 2021 को रखा जाएगा तथा पारण 28 जुलाई को होगा।
संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि
संकष्टी चतुर्थी के दिन प्रातः काल स्न्नान आदि से निवृत्त होकर लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए। इसके बाद भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना कर धूप ,दीप ,नैवेद्य चढ़ाना। भगवान गणेश को मोदक और दूर्वा का भोग अवश्य लगाए। गणेश जी का संकल्प ले कर फलहार व्रत रखना चाहिए। गणेश चतुर्थी के व्रत का पारण यथाशक्ति दान के साथ करना चाहिए।
संकष्टी चतुर्थी का महत्त्व
संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। और कहा जाता है साथ ही ऐसा कहा जाता है की भगवान गणेश घर की सारी परेशानियों को समाप्त कर देते हैं। जो व्यक्ति इस दिन व्रत करता है और पूरी आस्था के साथ पूजन करता है ,भगवान गणेश उसकी सारी मनोकामना पूरी करते हैं। ये व्रत सूर्योदय से शुरू होकर चंद्र देव के दर्शनों के बाद संपन्न होता है।